जिंदगी 🤔,,, स्टेटस के जरिए अक्सर हम अपने मन की बात और भावों को बयां करते हैं।,,,, है ना😊,,, सही भी है,,,👍 कई बार झिझक, डर, मान या लिहाज के कारण हम सामने वाले इंसान की ग़लती पर चाहकर भी कुछ बोल नहीं पाते,,,🤔 उसे समझा नहीं पाते 😔 और मन ही मन या तो हम घुटते हैं या कुढ़ते रहते हैं।😞,,, और धीरे- धीरे एक दिन स्वयं ही एंजाइटी और डिप्रेशन का शिकार बन जाते हैं।,,, और हमें पता ही नहीं चलता।😌,,,, यदि!!!!🤔 हम पशु होते तो शायद सामने वाले के स्वभाव से हमें कोई फर्क नहीं पड़ता।,,,, पर हम इंसान हैं,,,😊 पढ़े- लिखे और जागरूक हैं,,,👍 इसलिए 🥰,,, हमें बहुत फर्क पड़ता है यार।,,,, हम स्वयं को कितना ही मजबूत दिखाने की कोशिश कर लें।🤔 लेकिन सच तो यह है, हम अंदर से टूट चुके होते हैं।🙄,,,, क्योंकि बिना परिवार के या दोस्तों के हमारा यह मनुष्य जीवन व्यर्थ है।😌,,,,, अक्सर हम लोग रिश्तों में पढ़ने वाली दरार की जिम्मेदारी सामने वाले के सिर पर थोप देते हैं। और स्वयं को खरा सोना मानते हैं।,,, मानते हैं ना,,,, और उस रिश्ते से दूरी बना लेते हैं,,, एक समय ऐसा आता है कि यह दूरी हमारे रिश्ते की गर्माहट को खत्म कर देती है।,,, और,,जब तक हमें एहसास होता है, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है।,,, हंसना- बोलना, रूठना, मनाना जैसे अपनेपन के अधिकार पर चुप्पी की दीवार खिंच जाती है।😔😔,,, जिंदगी जीने को लेकर लोगों का अपना- अपना नजरिया है।☝️,,, और अपने नजरिए के हिसाब से सभी अपने आप में खरा सोना हैं।,,,, लेकिन यह जरूरी नहीं है कि आपका नजरिया सामने वाले के लिए भी सही हो।😊,,,,,,,,विचारों और नजरिए का खेल ही है जो हमें एक दूसरे के करीब लाते हैं, या एक दूसरे से दूर कर देते हैं!,, ❤️
स्वरचित: मंजू बोहरा बिष्ट,
गाजियाबाद उत्तर प्रदेश।
आत्मावलोकन के लिए प्रेरित करता सुन्दर आलेख!
ReplyDeleteधन्यवाद 🙏
Deleteसार्थक चिंतन देता लेख ।
ReplyDeleteसुंदर।
जी,,,,धन्यवाद 🙏
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