मेरी रूह का तेरी रूह से,
जुड़ा यूं नाता है।
जब तक ना हो तुझसे गूफ्तगू,
मुझे चैन न आता है।।
मुझमें बसी तू, तुझमें बसी मैं,
हम ऐसे हमराज हैं।
दोस्ती पे मर मिटने वाले,
हम ऐसे परवाज हैं।।
कभी गुड़ियों के संग खेले हम,
कभी निकले सैर पर।
मस्तीभरा याराना अपना,
हम सांझ ढले आ जाते घर।।
सबसे प्यारी दोस्ती हमारी,
इसे ताउम्र निभायेंगे।
लाख आऐ तुफां जीवन में,
हम यूं ही साथ रहेंगे।।
तेरी,,,,,,
स्वरचित: मंजू बोहरा बिष्ट।
गाजियाबाद उत्तर प्रदेश
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