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क्षणिका: परिचय

मैं ना ही सागर हूं, 

ना ही कोई नदी हूं,

ना ही मैं झील हूं, 

और ना ही तलैया हूं,

मैं तो सिर्फ एक गागर का।

ठंडा - मीठा नीर हूं।।


स्वरचित: मंजू बोहरा बिष्ट।।

गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश।

मूलनिवासी: हल्द्वानी, नैनीताल। ‌‌



5 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल शनिवार (25-06-2022) को चर्चा मंच     "गुटबन्दी के मन्त्र"   (चर्चा अंक-4471)     पर भी होगी!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार कर चर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
    -- 
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'    

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  2. मीठे नीर वाली गागर अगर किसी एक प्यासे की प्यास भी बुझा देती है तो उसकी महत्ता किसी समुद्र, किसी नदी, किसी झील या किसी तलैया से कम नहीं होती.

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    Replies
    1. जी,,, सही कहा आपने 👍

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  3. पढ़कर मन शीतल हो गया बहुत ही सुंदर।
    सादर

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