हे, भगवान! मुझे तुमसे है कुछ कहना।
तुमने दी है मुझे एक प्यारी छोटी बहना।।
किया है उपकार जो तुमने मुझ पर।
ऋणी रहुंगी मैं ताउम्र भर।।
निस्वार्थ करे वह प्यार मुझे।
मेरे लिए वह दुनिया से लड़े।।
अपनी गोदी में मेरा सिर रखकर।
दुलार लुटाती है वो बेहद मुझ पर।।
मेरी हर उलझन को सुलझा देती।
मेरी अनकही की भाषा बन जाती।।
मेरे हर पल की राजदार है वो।
मेरी सबसे अच्छी दोस्त है वो।।
भगवान ने जब मेरी बहन को बनाया होगा।
ममता, करूणा का अक्श उसमें समाया होगा।।
स्वरचित: मंजू बोहरा बिष्ट।
गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश।
वाह
ReplyDeleteNice post
ReplyDeleteबेहतरीन कविता।
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