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मेरे प्रेरणा स्त्रोत व्यक्तित्व: आलेख

मेरे आदर्श और प्रेरणास्त्रोत मेरे माता-पिता हैं। मेरा जन्म उत्तराखंड के एक छोटे से गांव में हुआ है। मैं एक किसान की बेटी हूं। जब भी किसी को मैं अपना परिचय देती हूं कि मैं एक किसान की बेटी हूं, तो मुझे स्वयं पर बहुत गर्व होता है।,,,,,,

हम पांच भाई बहन हैं। १९९८ में मेरे पिताजी का देहान्त हो गया था। उसके बाद परिवार की सारी जिम्मेदारी मेरी माताजी के कंधों में आ गई। मेरी माता जी ने बहुत मेहनत और लगन से हम बच्चों की परवरिश की। और हम बच्चों को कभी भी किसी चीज की कमी महसूस नहीं होने दी।,,,,,
मुझे आज भी याद है, मेरे माता-पिता दोपहर की प्रचंड धूप में भी खेतों में काम करते रहते थे; चाहे कितनी ही विषम परिस्थितियां क्यों ना हो जाय, मेरे माता-पिता के चेहरे में कभी भी उदासी नजर नहीं आती थी, और नहीं कभी चिड़चिड़ापन दिखाई देता था। मेरे माता-पिता हम भाई-बहनों की शिक्षा का बहुत ध्यान रखते थे। आज से २२-२३ साल पहले गांवों में लड़कियों के लिए १२वी कक्षा से बाद अपनी शिक्षा को जारी रखना बहुत मुश्किल काम था। क्योंकि तब साधन सीमित थे! और महाविद्यालय बहुत दूर थे। मैं पढ़ने में बहुत होशियार थी; तो मेरे माता-पिता ने मेरी पढ़ाई में आने वाली परेशानी को ही दूर कर दिया। वो मेरे लिए एक साइकिल खरीद कर ले लाए, और तब मैं अपने गांव की पहली लड़की थी, जो महाविद्यालय में पढ़ने गईं। मेरे माता-पिता ने मुझे स्नातकोत्तर तक की उच्च शिक्षा प्रदान की।,,,,,,
आज भी गांवों में कई लोग पुरानी विचारधारा के हैं। वो अक्सर अपनी लड़कियों को बहुत सारे कायदों- कानून और नियमों में बांध देते हैं। हमारे माता-पिता ने हम पर कभी भी कोई बंदिशें नहीं थोपी। उन्होंने हमसे कभी नहीं कहा कि तुम एक लड़की हो, तुम ऐसा मत करो, वैसा मत करो। यहां मत जाओ, वहां मत जाओ।,,,,,
पिताजी के देहांत के बाद भी हमारी माता जी ने हम बहनों को हर कार्य में दक्ष और निपुण बनाया। और हमें स्वाभिमान से जीना सिखाया।,,,,,,,
मेरे माताजी और पिताजी अक्सर कहते थे। "जीवन में हमेशा कर्मप्रधान बनो। कभी भी किसी के बारे में बुरा मत सोचो। अपने हर सपने को पूरा करने की हर संभव कोशिश करो। यदि तन-मन से मेहनत करोगे तो एक दिन सफलता अवश्य ही तुम्हारे कदम चूमेगी"।,,,,
जीवन में आने वाले संघर्षों और चुनौतियों का सामना करना मैंने अपने माता-पिता से ही सीखा है, और उन्हीं के परवरिश और संस्कार की वजह से आज मैं एक सफल और कुशल गृहणी हूं, और अपने परिवार जनों की बेहद प्रिय हूं। साथ ही मैं बच्चों को सिलाई सिखाती हूं। और आज मैं एक आत्म-निर्भर महिला भी हूं। 


स्वरचित: मंजू बिष्ट,
गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश।



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