मैं एक नवोदित रचनाकार हूं; मैं कोशिश कर रही हूं, कि मैं अपने शब्दों को एक माला में पिरोने की। और उस माला को एक साकारात्मक और प्रेरणास्त्रोत रचनाओं का रूप देने की। यदि मेरी रचनाओं में कोई त्रुटियां होती हैं तो मैं क्षमा प्रार्थी हूं।
1- डमी खड़ा दुकान में, पहने अकरा सूट।
नज़र पड़े ज्यों सेल में, दुनिया पड़ती टूट।।
स्वरचित मंजू बिष्ट,
गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश।
Nice 🙂
Thank you 😊
Nice 🙂
ReplyDeleteThank you 😊
ReplyDelete