जरा हौले से चल री बयरिया;
आ जा तुझको बताऊं एक राज वे!
आने वाले हैं मोरे सांवरिया;२
कैसे थामू जिया के तार वे!!....
तू जाने है मन की बाती;
कटती कैसे मेरे दिन राती।
बैरन जुदाई सताए मुझे;
नैनों से अश्रु की धारा बहे।।
आने वाले हैं मोरे सांवरिया;२
कैैसे थामूूं। जिया केे तार वे,,,,।।
जरा हौले से....
ओ री सखी आ जा तुझको बताऊं,
मनवां कहे झूमूं, नाचूं, गाऊं।
करने लगी सोलह श्रृंगार मैं;
दर्पण में आज खुद को निहारूंं।।
रूप मेरा ऐसा खिला है;
बगिया में कोई फूल सा खिला है।
आने वाले हैं मोरे सांवरिया,२
कैैसे थामू जिया के तार वे,,,,,,,,।।
जरा हौले से.....
स्वरचित: मंजू बोहरा बिष्ट;
गाजियाबाद; उत्तरप्रदेश।
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