मैं एक नवोदित रचनाकार हूं; मैं कोशिश कर रही हूं, कि मैं अपने शब्दों को एक माला में पिरोने की। और उस माला को एक साकारात्मक और प्रेरणास्त्रोत रचनाओं का रूप देने की। यदि मेरी रचनाओं में कोई त्रुटियां होती हैं तो मैं क्षमा प्रार्थी हूं।
मात-पितु की सेवा से, बढ़ता मान सम्मान ।
नेक राह का पथिक बना, जब त्यागा अभिमान।।
माता से ममता मिली, पिता दिये संस्कार।
गुरुदेव के आशीष से, जन्म हुआ साकार।।
No comments:
Post a Comment