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मान सम्मान: दोहा

मात-पितु की सेवा से, बढ़ता मान सम्मान ।

नेक राह का पथिक बना, जब त्यागा अभिमान।।


माता से ममता मिली, पिता दिये संस्कार।

गुरुदेव के आशीष से, जन्म हुआ साकार।।

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