५,७,५,७,७
बाबा जी तुम्हें,
कोटि-कोटि प्रणाम,
योग सेवा से,
विश्व गुरु बने हो,
किया जन कल्याण।
योग साधना,
का पथ दिखलाया,
थामी मशाल,
हर रोग से मुक्ति,
सिर्फ योग निदान।
योग गुरु का,
स्वदेशी अपनाओ
सशक्त नारा,
मेरा देश महान,
हो जन का कल्याण।
स्वस्थ रहें वो,
नियमित करें जो
कपालभाती,
अनुलोम-विलोम,
समस्त प्रायाणाम।
स्वरचित: मंजू बिष्ट,
गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश।
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