नैनीताल उत्तराखंड में स्थित एक बहुत ही सुन्दर और रमणीय पर्यटक स्थल है। पिछले साल गर्मियों की छुट्टियों में हमने नैनीताल घूमने का आयोजन बनाया वैसे मैं बचपन में कई बार नैनीताल गई हूं। लेकिन कभी घूमने का मौका नहीं मिला। इस बार मैं अपने पति और बेटे के साथ नैनीताल घूमने जा रही थी। मन बहुत उत्साहित और प्रफुल्लित था। गाजियाबाद से हम लोग सर्वप्रथम अपने पैतृक गांव गए। अपनी माटी, अपना घर, अपने लोगों के बीच पहुंच कर तन और मन बहुत ही ज्यादा खुश हो गया। सही में, अपनों के बीच में पहुंच कर मन को एक अलग ही सुकून मिलता है।,,,,,
दूसरे दिन हम लोग सुबह ९ बजे के आसपास नैनीताल के लिए रवाना हुए। सर्वप्रथम हम लोग ऑटो रिक्शा से हल्द्वानी गए। यह कथन सत्य है, कि "हल्द्वानी नगर पहाड़ों का प्रवेश द्वार है"। हमने हल्द्वानी से नैनीताल जाने के लिए एक टैक्सी की बुकिंग की। लगभग २ घंटे के आस-पास हम लोग नैनीताल की सबसे खूबसूरत जगह नैनी झील के पास पहुंच गए। बेहद ख़ूबसूरत नजारा था वहां का; चारों ओर से हरे- भरे पर्वत श्रृंखलाएं थी, जिसकी हरियाली मन में नई ऊर्जा का संचार कर रही थी। पर्वतों का प्रतिबिम्ब नैनी झील में पड़ने के कारण झील का जल हरा सा दिखाईं दे रहा था। झील में चलती नावें और मछलियां मन को बेहद आकर्षित कर रही थी। जून की भीषण गर्मी में नैनीताल का मौसम बहुत ठंडा और सुकून देने वाला था; वहां के स्थानीय निवासियों की भेष-भूषा, उनकी सादगी और सौंदर्य मन को मोहित कर रही थी। नैनीताल पहुंच कर हमने नैनी झील के आस-पास ही होटल की तलाश की। और हम लोग प्रसिद्ध माल रोड के किनारे प्रताप होटल में ठहरे। अपना सामान रखकर मुंह हाथ धोकर हम लोग सर्वप्रथम नैना देवी के मंदिर में मां दर्शन करने गए। उसके बाद हम लोगों ने नैनी झील में नौकायन किया। आज मैं पहली बार नौकायन कर रही थी इसलिए मैं डर भी रही थी, पर साथ ही ये पल मन को बहुत आनंदित भी कर रहे थे। थोड़ी देर आराम करने के बाद हम लोग "स्नो ब्यू पाॅइंट" देखने गए। "स्नो ब्यू पाॅइंट" नैनी झील से २२७० कि.मी उंचाई पर स्थित है। "स्नो ब्यू पाॅइंट" से नैनीताल का समस्त भू-भाग बहुत ही सुंदर और खूबसूरत दिखाई दे रहा था। और फिर शाम को हम लोग वहां की मशहूर "भोटिया बाजार" गए। नैनीताल की यादों को संजोने के लिए हमने नैनीताल की कुछ मशहूर चीजें ख़रीदीं; और फिर लगभग ८ बजे के आसपास हम वापस होटल लौट आए। दुसरे दिन सुबह ९ बजे हम लोग "केव गार्डन" गए। केव गार्डन ६ गुफाओं की एक चेन है। गुफा के अंदर मौजूद जगह बहुत ही छोटी और संकरी थी। हम लोग रेंग-रेंग कर गुफा में आगे बढ़े। कहते हैं कि "केव गार्डन" में कई फिल्मों की शूटिंग भी हो चुकी है। उसके बाद हम लोग भीमताल की ओर रवाना हुए।,,,,,,,,
सर्वप्रथम हम लोग भवाली पहुंचे। भवाली में सबसे पहले हम लोग वहां के प्रसिद्ध मंदिर "गोलू देवता" के दर्शन करने गए। "गोलू देवता" का यह मंदिर बहुत ही प्राचीन मंदिर है। और इस मंदिर की बहुत मान्यता है। दर्शन करने के बाद हम लोग ३ बजे के आसपास भीमताल पहुंचे। भीमताल में सर्वप्रथम हम लोग एक होटल में गए। वहां पर हम लोगों ने खाना खाया और थोड़ी देर आराम करने के बाद हम भीमताल में घूमने निकल गए। भीमताल में थोड़ी गर्मी थी, इसलिए हम लोग सात ताल झील की ओर निकल पड़े। सात ताल छोटी- छोटी ७ झीलों का एक समूह है। सात ताल की तुलना "स्वर्ग के तालाब" से की गई है। सात ताल बहुत ही सुन्दर और रमणीय पर्यटक स्थल है। वहां भी मैंने अपने बेटे और पति के साथ हर एक पलों को भरपूर जिया। भीमताल होटल में पहुंचने तक हमें रात हो चुकी थी, और हम लोग बहुत ही ज्यादा थक भी चुके थे। थकान की अधिकता के कारण कमरे में जाते ही कब नींद की आगोश में चले गए पता ही नहीं चला।,,,,,,,,
अगले दिन हमने नौकुचिया ताल जाने का निर्णय लिया। हम लोग ११बजे होटल छोड़कर नौकुचिया ताल पहुंच गए। नौकुचिया ताल में हमारे एक करीबी रिश्तेदार रहते हैं। हम सर्वप्रथम उन्हीं के घर गए। हम लोग कई साल बाद मिल रहे थे; हमें देखकर वो लोग बहुत खुश हुए। उन्हीं लोगों ने हमें नौकुचिया ताल की सैर करवाई; और नौकायन कराया। इस बार तो मैंने भी नौकायन के भरपूर लुत्फ उठाए; और साथ ही नौकुचिया ताल की बहुत सी जानकारियां भी प्राप्त की। उन्होंने बताया कि नौकुचिया ताल में टेढ़े-मेढ़े ९ कोने हैं। इन ९ कोनों की वजह से इस ताल का नाम नौकुचिया ताल पड़ा। नौकुचिया झील की लम्बाई ९८३ मी० है, चौड़ाई ६९३ मी०है, और यह झील ४० मी० गहरी है। रिस्तेदारों के साथ यह यात्रा और भी खूबसूरत और यादगार बन गई। अगले दिन हम लोग विदाई लेकर अपने घर को रवाना हो गए। तीन दिन का यह सफर कब बीत गया पता ही नहीं चला। हर एक पल बहुत ही खूबसूरत आनंदित करने वाले था। नैनीताल की यात्रा के वो खुबसूरत पल और यादें मुझे आज भी रोमांचित कर देती है।
स्वरचित: मंजू बिष्ट;
गाजियाबाद;
उत्तर प्रदेश
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